क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग ९
अंजली रात होने पर अमित को खत लिखती है जिसमें वो बताती है की उसने अपने ज़िले में टॉप किया है । आज वो बोहोत खुश थी उसके पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था जब गांव वाले मुझे बधाई देने आ रहे थे । और अध्यापक भी बोहोत खुश थे मेरे स्कूल में टॉप आने पर। लेकिन आज मुझे अपनी मां की बहुत ज्यादा याद आ रही थी । जब मंजू की मां अपने हाथो से उसे मिठाई खिला रही थी तब उसे अपनी मां के साथ अपनी सफलता एंजॉय करते देख मेरा भी अपनी मां को देखने का जी कर रहा था । लेकिन मैं खुश हू । अब बस आगे की पढ़ाई शुरू करनी है ।
मुझे आप के खत का इतंजार रहेगा ।
आपकी दोस्त अंजली ।
खत लिख कर अंजली उसे अपने तकये के नीचे रख कर सो जाती है और सुबह होने का इतंजार करती ।
इसी तरह कुछ दिन बाद अमित का खत आता जिसमे वो उसको मुबारक बाद भेजता और अपनी दिल की बाते उस खत में लिखता । अंजली को उसके खत पढ़ना बहुत अच्छे लगते वो उनको बार बार पढ़ती और फिर अपने संदूक में रख देती ।
रिजल्ट आने के एक माह बाद । मंजू के पिता के पास राकेश की मां का फोन आता और वो मंजू की मां से बात करती और बताती की हम चाह रहे है कि जल्द से जल्द मंजू को अपने घर ले जाए क्योंकि अब मंजू का इंटर हो गया है तो बेहतर है की उसके हाथ पीले कर के उसे अपने घर का कर दिया जाए ।
कल हमारे पण्डित जी ने अगले महीने के पहले रविवार को एक अच्छा मुहूरत बताया है अगर आप लोग राज़ी है तो हम अपने बेटे की बारात ले कर आ जाए आपको कोई परेशानी तो नही होगी।
स,,,,, स,,,, समधन जी परेशानी की तो कोई बात नही है मंजू आप की ही अमानत है । जब चाहे उसे ले जा सकती है आप । लेकिन हम लड़की वाले है हमे काफी तैयारिया करनी है बस इसी बात की फिक्र मैं आपको मंजू के पिता से पूछ कर बताती हू । मंजू की मां कहती है
जैसा आपको ठीक लगे समधन जी बस ध्यान रखना की फिर अगला मुहूर्त आठ महीने बाद का है मैं नही चाहती की बच्चे इतना इतंजार करे । जो भी फैसला करना सोच समझ कर करना । राकेश की मां कहती है । और फ़ोन रख देती है ।
क्या हुआ भाग्यवान क्या कह रही थी समधन जी । मंजू के पिता ने पुछा।
समधन जी चाह रही है की मंजू और राकेश की शादी अगले महीने के पहले रविवार को हो जाए क्योंकि एक अच्छा योग बन रहा है उस दिन और उसके बाद आठ महीने बाद का मुहूर्त निकाला है उनके पण्डित जी ने । मंजू की मां कहती है
आप की क्या मर्जी है । हो पाएगी सारी तैयारियां एक महीने में दहेज है । राकेश और उसकी मां के लिए कुछ सोने की टूंग भी देना जरूरी है । मंजू की मां कहती है
तुम हां कह दो बेटी का फर्ज जितनी जल्दी अदा हो जाए अच्छा है और राकेश एक सुलझा और समझदार लड़का है मैं नही चाहता की अगले मूहूर्त तक कोई खटपट हो जाए और रिश्ता खराब हो जाए । इस लिए तुम उनसे हा कह दो । मंजू के पिता कहते है
बात आपकी सही है लेकिन पैसा कहा से लाएंगे इतनी जल्दी अभी तो फसल भी नही पकी है जो उसे बैच कर पैसे आ जाए । शादी के घर में दस खर्चे होते है गांव वालो को भी भोजन देना होगा घर की पहली शादी है मंजू की मां उदास चहरे से कहती है।
तुम फिक्र मत करो भाग्यवान मेरा खेत है में उसे ही गिरवी रख दूंगा और अपनी बेटी को अपने घर का करदूंगा इज्जत के साथ मंजू के पिता कहते है
अगर आप खेत बेच देंगे तो फिर हम करेंगे क्या साल भर हमारा घर कैसे चलेगा मंजू के छोटे दो बहन भाई और भी है उनके लिए भी तो कुछ सोचना है । मंजू की मां अपने पति से पूछती है
मैं कोन सा पूरा खेत गिरवी रखने की बात कर रहा हु आधा खेत गिरवी रख दुंगा आने वाले पांच सालो में भगवान की किरपा से उसे वापस भी ले लूंगा तू फिकर मत कर मंजू की मां तू बस ब्याह की तैयारी कर बाकी सब मुझ पर छोड़ दे ।
मंजू जो की बाहर खड़ी सब सुन रही होती है वो खुश भी होती है और उदास भी क्योंकि उसकी वजह से उसका खेत गिरवी रखने की बात हो रही होती है ।
मंजू की मां राकेश की मां को बता देती है कि वो बारात लेकर आ सकती है हम लोग तेयार है ।
मंजू ये खबर सुनाने अंजली के घर जाती और उसको बताती की अगले महीने उसका ब्याह है । ये सुन अंजली खुशी से उसे गले लगाती उसके बाद दोनो सहलियो के चेहरे पर आई खुशी उदासी में तब्दील हो जाती है ।
मंजू तू चली जाएगी मुझे छोड़ कर अपने गुड्डे के साथ तुझे याद तो आयेगी ना मेरी अंजली पूछती है ।
हा अंजली यही रीत है एक दिन तू भू किसी राजकुमार के साथ डोली में बैठ कर उस के साथ चली जाएगी मुझे तेरी बहुत याद आएगी मैं तुझे खत लिखा करूंगी तू मेरी दोस्त नही बहन है जिसके साथ मैं अपना दुख और दर्द सांझा करती हूं शादी के बाद भी खत के माध्यम से तुझसे ही सांझा किया करूंगी । मंजू नम आंखों से कहती है । चल अंजली अब मैं चलती हू अब बस एक महीना बचा है मां का हाथ बटाना है घर के कामों में पांच मिनट का कह कर आई थी और अब एक घंटा हो गया है । शाम भी हो चली मंजू कहती है
रुक मंजू मुझे तुझे कुछ बताना है वो क्या है ना ,,,, मुझे समझ नही आ रहा कहा से शुरू करू अंजली शरमाते हुए कहती है।
क्या बात है ऐसी भी क्या बात है की तूझे कहते हुए शर्म आ रही है कही ये वो वाली बात तो नही मंजू मजे लेते हुए कहती है
अरे नही नही ऐसा कुछ नही है तू तो बेवजह ही राई का पहाड़ बना देती है अंजली कहती है
अगर ऐसा कुछ नही है तो फिर ये तेरे चेहरे पर चमक कैसी है कही तुझे भी मेरी तरह मोहब्बत तो नही हो गई मंजू हस्ते हुए कहती है।
अरे ऐसा कुछ नही है बस है कोई जिसकी बाते अच्छी लगने लगी है जिसको खत लिखना अच्छा लगता है और उसके खत का इतंजार भी रहता है शायद ये दोस्ती है अंजली कहती है
ये दोस्ती नही प्यार है पगली बता कोन है वो जिसने मेरी दोस्त की नींदे उड़ा रखी है मंजू कहती है
तू जानती है उसे अच्छे से अंजली कहती है
ऐसा कोन है जिसे मैं जानती हू यही गांव का है कोई मंजू कहती है
अरे नही अमित है वो जो तेरी सगाई पर जीजू की तरफ से आया था अंजली कहती है
अच्छा तो ये बात है तू तो छुपी रुस्तम निकली मेरे देवर को ही अपना दीवाना बना लिया मंजू हस्ते हुए कहती है
ऐसा कुछ नही है बस हम दोनो दोस्त है और पहले खत उसने भेजा था दोस्ती का हाथ उसने बड़ाया था मेने नही अंजली कहती है
मैं दुआ करूंगी की तुम्हारी दोस्ती बहुत जल्द प्यार में बदल जाए अमित और तुम्हारी जोड़ी बहुत अच्छी लगेगी अमित भी बिल्कुल राकेश की तरह सुलझा और समझदार लड़का है तू बहुत खुश रहेगी उस के साथ । मैं बहुत खुश हू की मेरे जाने के बाद कोई तो होगा जिसकी वजह से तू मुस्कुरा सकेगी लेकिन मुझे मत भूल जाना मंजू मुस्कुराते हुए कहती है।
भला ऐसा भी हो सकता है कि मैं तुझे भूल जाऊ अपनी बचपन की सहेली को कभी नही हा अलबत्ता तू जीजू के प्यार में मुझे भूल गई तो में कह नही सकती अंजली जोर से हस्ते हुए कहती है और दोनो गले लग जाती है ।
Shnaya
07-Apr-2022 12:17 PM
Very nice👌
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The traveller
26-Mar-2022 01:40 AM
Good...!
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Dr. Arpita Agrawal
23-Mar-2022 11:47 PM
बेहतरीन शुरुआत, अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी
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